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jnv hindi ( अपठित गद्यांश -२ )

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मरुस्थलों में बहुत-सा पशु जीवन प्राप्त होता है। रात में रेगिस्तानी छिपकलियाँ अपने छिद्रों से बाहर निकलती हैं। अनेक प्रकार के जहरीले साँप, बिच्छू, लोमडियाँ और कीड़े-मकोडे और पक्षी प्राप्त होते हैं। सहारा, अरब और थार के मरुस्थलों में अपना सामान एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में ऊँटों का उपयोग स्थानीय लोगों के द्वारा किया जाता है। ऊँट जिसे ‘मरुस्थल का जहाज’ भी कहा जाता है. बालू में मीलों चल सकता है। इसकी आँखों की बरौनियाँ लम्बी होती है और यह अपने नाक के छिद्रों को बन्द रख सकता है। इससे यह रेत से अपनी आँखों और नाक को बचा सकता है। इसके पैर सपाट और गद्देदार होते हैं और पीठ पर एक या दो कूबड़ होते हैं। ऊँट एक बार में अनेक लीटर पानी पी सकता है और उसके बाद एक सप्ताह से अधिक तक बिना पानी के चल सकता है। मरुस्थल के निवासियों के लिए ऊँट अपरिहार्य है।

  1. इस अनुच्छेद के लिए सबसे उपयुक्त शीर्षक कौन-सा है?

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  1. रात में अपने छिद्रों से कौन-सा पशु बाहर निकलता है?

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  1. ऊँट एक सप्ताह से अधिक तक बिना पानी पीए चल सकता है, क्योंकि

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  1. पैरा में ‘अपरिहार्य’ शब्द का अर्थ है

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  1. पानी का पर्यायवाची होगा